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रिश्वत लेते पकड़े गए बैंक मैनेजर को तीन साल की सजा, कोर्ट ने लगाया छह हजार का जुर्माना

काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक रामेश्वर (जंसा) के शाखा प्रबंधक रहे संजय कुमार वर्मा 500 रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए थे। 15 साल पुराने इस मामले में विशेष न्यायाधीश चतुर्थ (भ्रष्टाचार निवारण) रवींद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने सोमवार को उन्‍हें दोषी करार दिया। कोर्ट ने संजय कुमार वर्मा को तीन साल के कारावास और छह हजार जुर्माने की सजा दी।

किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए पांच सौ रुपये रिश्वत लेते पकड़े गए काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक रामेश्वर (जंसा) के शाखा प्रबंधक रहे संजय कुमार वर्मा को विशेष न्यायाधीश चतुर्थ (भ्रष्टाचार निवारण) रवींद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने सोमवार को दोषी करार दिया। अदालत ने संजय कुमार वर्मा को तीन साल के कारावास और छह हजार जुर्माने की सजा दी। जुर्माना न देने पर 10 दिन अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी संतोष कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। अभियोजन के अनुसार 2009 में बरेमा गांव के देवनाथ सिंह ने किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए रामेश्वर स्थित काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक में आवेदन किया था। चार माह बाद भी आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 27 मई 2009 को उसने शाखा प्रबंधक संजय कुमार वर्मा से मुलाकात की।
संजय ने क्रेडिट कार्ड बनाने के बदले में उससे दो हजार रुपये की मांग की। देवनाथ ने जब गरीबी का वास्ता देकर रुपये देने में असमर्थता जताई तो प्रबंधक ने कहा कि चक्कर काटते रह जाओगे और फाइल में आपत्ति लगाकर वापस कर देंगे। काफी अनुनय-विनय के बाद पहले पांच सौ और शेष रुपये काम होने के बाद देने की देवनाथ ने हामी भर दी।
देवनाथ ने रुपये न देकर दो जून 2009 को संजय कुमार वर्मा के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान के पुलिस अधीक्षक के यहां लिखित शिकायत की। पुष्टि के बाद सतर्कता अधिष्ठान ने संजय को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। चार जून 2009 को ट्रैप पार्टी ने बैंक शाखा में संजय को देवनाथ से पांच सौ रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया।
तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक गोरख सिंह ने संजय के खिलाफ जंसा थाना में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। सुनवाई के दौरान अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से सात गवाह परीक्षित कराए गए थे।
दोनों पक्ष की दलील सुनने और साक्ष्यों के अवलोकन के बाद कहा कि संजय कुमार वर्मा द्वारा यह जानते हुए कि विधि विरुद्ध ढंग से किसी कार्य को करवाने के एवज में धनराशि की मांग अपराध है, उन्होंने देवनाथ सिंह से धन की मांग की और धन प्राप्त भी किया।

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