देहरादून : उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में जंगल की आग ने विकराल रूप ले लिया है। इस बीच वन विभाग की बढ़ती मुश्किलों के मद्देनजर सेना भी जंगल में आग बुझाने के कार्य में जुट गई है।
बुधवार को प्रदेश के जंगलों में आग की 227 घटनाएं दर्ज की गई। जिनमें 561 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। साथ ही गढ़वाल क्षेत्र में आग बुझाने के प्रयास में एक ग्रामीण झुलसकर घायल हो गया। इसी के साथ प्रदेश में अब तक जंगल की आग की कुल 1443 घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें 2433 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। साथ ही इस दौरान गढ़वाल में तीन व्यक्ति आग की चपेट में आकर घायल हुए। वहीं, कुमाऊं मंडल में भी दो व्यक्ति घायल हुए है जबकि, एक की मौत हो चुकी है। आरक्षित क्षेत्र में 1028 और सिविल व वन पंचायत क्षेत्र में 415 घटनाएं हुई हैं।
मंगलवार रात्रि को चमोली जिले के कर्णप्रयाग में जंगल की आग राजकीय इंटर कालेज केदारूखाल तक पहुंच गई। जिसके चलते तीन कक्षा-कक्ष और उनमें रखा फर्नीचर जलकर राख हो गया। कालेज के प्रधानाचार्य संजय शाह ने बताया कि बुधवार की सुबह शिक्षकों, छात्रों व ग्रामीणों ने विद्यालय में लगी आग पर झाड़ियों व पेड़ की टहनियों से काबू पाया। जिसके चलते अन्य दो कक्षों को आग से बचाया गया।
कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़ शेष पांचों पर्वतीय जिलों में जंगल की आग बढ़ती जा रही है। बुधवार को पिथौरागढ़ से धारचूला तक जंगल जलते रहे। धारचूला में जंगलों की आग गांव तक पहुंच गई। ग्रामीणों की शिकायत के बाद वन महकमा हरकत में आया। पिथौरागढ़ मुख्यालय से सटे कपिलेश्वर क्षेत्र के जंगल मंगलवार रात आग की चपेट में आ गए। आग एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी तक फैल गई। अल्मोड़ा जिले में बुधवार को भी द्वाराहाट, सोमेश्वर वन क्षेत्र समेत ढौरा, सुनोली आदि स्थानों में भी जंगल आग में झुलसे। कुछ जगह ऐसी है जहां पिछले एक सप्ताह से जंगल आग की चपेट में हैं। आग गांव की ओर ना पहुंचे इसके लिए वन विभाग के साथ ही ग्रामीण आग बुझाने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री बोले , उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून को जल्द ही किया जाएगा लागू
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अपनी स्थापना के रजत जयंती वर्ष में उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में...
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