देहरादून: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर द्वारा विपक्ष के लाए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और केबिनेट को भंग करने के फैसले के खिलाफ आज सुनवाई की गई। रविवार को डिप्टी स्पीकर के फैसले के बाद नेशनल असेंबली में जमकर हंगामा हुआ था। जिसके बाद इस मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय पीठ करेगी, जिसमें चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल, जस्टिस इजाजुल अहसान और जस्टिस मोहम्मद अली मजहर शामिल हैं। इसी बीच राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 224-ए (ए) के तहत इमरान खान केयरटेकर प्रधानमंत्री की भूमिका में बने रहेंगे।
पीएमएल-एन के नेता शाहबाज शरीफ ने इमरान खान की आलोचना करते हुए कहा है कि यह सब इमरान नियाजी और उनके समूह की सोच थी, वो इस नुकसान का सामना नहीं कर सकते थे जो संविधान और कानून के अनुसार होने वाला था। इसलिए उन्होंने लोकतंत्र को चोट पहुंचाने और उसको अनदेखा करने का काम किया । उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया है। शाहबाज ने कहा कि 8 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। अगर अमेरिका से कुछ संदेश आया था तो पीटीआई ने इस पर 24 मार्च को ही क्यों नहीं आपत्ति जताई थी।
चीफ जस्टिस बंदियाल ने कल कहा था कि पीएम हो या राष्ट्रपति सभी के आदेश कोर्ट के लिए विचाराधीन श्रेणी में ही आते हैं। इस मामले में विपक्ष ने भी कल ही सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। पाकिस्तान के अखबार डान ने कानूनी जानकारों के हवाले से कहा है कि जब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है तब तक नेशनल असेंबली की स्थिति यथावत ही रहेगी।
नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने विपक्ष के लाए अविश्वास प्रस्ताव को संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि विदेशी ताकतों को इस बात का हक नहीं है कि वो पाकिस्तान में इस तरह की हरकत विपक्ष के साथ मिलकर करें। इस पूरे घटनाक्रम से विपक्ष गुस्साया हुआ है। डिप्टी स्पीकर के फैसले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है। अब देश में तीन माह के अंदर चुनाव करवाए जाएंगे। विपक्ष ने इमरान खान को गद्दार करार दिया है।
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