बीएड अनिवार्यता हटने से कॉलेजों में संकट! छात्र संख्या घट रही, मानक हो रहे कड़े
बेसिक शिक्षकों के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त होने से बीएड कॉलेजों में छात्रों की संख्या घट रही है। एनसीटीई के सख्त मानक और नैक मूल्यांकन की अनिवार्यता के कारण कई संस्थान बंद होने की कगार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीएलएड अनिवार्य होने से बीएड डिग्री धारक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। एनसीटीई ने शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कॉलेजों को निर्देश जारी किए।
बीएड,एमएड संस्थानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक ओर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या साल दर साल तेजी से घटती जा रही है वहीं, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के कड़े मानकों और नैक (नेशनल असेसमेंट एक एक्रीडेशन काउंसिल) की मान्यता लेना भी अनिवार्य है। यही नहीं प्रदेश सरकार ने एफडीआर की धनराशि भी पांच गुणा तक बढ़ा दी है। ऐसे में आने वाले समय में कई संस्थान स्वयं ही बंद करने की कगार पर पहुंच जाएंगे।
करीब 20 बीएड कालेज ऐसे हैं जिन्होंने एनसीटीई से मान्यता तो ले रहे हैं लेकिन व वर्षों से कक्षाएं संचालित करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। इसमें कई संस्थान बीपीएड, एमपीएड संचालन के लिए मान्यता लेकर आए थे।
विदित रहे कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले वर्ष दिए गए एक आदेश में बेसिक शिक्षक के लिए योग्यता डीएलएड व ब्रिजकोर्स कर दी गई थी। जिससे लाखों बीएडधारी पात्र अभ्यर्थी बेसिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बीएड कालेज वाले अभ्यर्थियों की संख्या में बेहद कमी देखी गई।
प्रदेश में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विवि, कुमाऊं विवि और सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा से संबद्ध 112 राजकीय, संगठक व निजी बीएड कालेज प्रदेश में संचालित हो रहे हैं।
नैक मूल्यांकन के लिए भी कड़े नियमों से गुजरना जरूरी
नैक मूल्यांकन की बाध्यता के साथ बीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों के लिए कुछ नये मानक तैयार किए हैं। इसके लिए संस्थानों को प्रमाणित दस्तावेज एनसीटीई में प्रस्तुत करने होंगे। इसमें भूमि, भवन, एनओसी, सोसायटी रजिस्ट्रेशन के साथ ही नैक मूल्यांकन प्रमाण-पत्र को प्रेश करना होगा।
नियम को कड़ा करने के पीछे एनसीटीई की मंशा शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाना है। एनसीटीई ने इससे पहले भी बिना कक्षाओं में उपस्थित हुए व मोटी फीस लेकर डिग्री दे रहे बीएड कालेजों पर सख्ती दिखाई थी, निर्देश जारी किए गए थे कि वहीं छात्र शिक्षक बनेंगे, जो नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहेंगे।
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