हरिद्वार पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ का आयोजन विक्रम संवत के अनुसार होता है। ग्रेगरी के कैलेंडर में कभी कुंभ के बारे में नहीं लिखा होता। इसीलिए उसे विक्रम संवत का कुंभ कहा जाना चाहिए। उन्होंने कुंभ और अर्द्धकुंभ के विवाद से खुद को दूर बताया और कहा कि दोनों ही शब्दों में कुंभ जुड़ा है। इसलिए कुंभ मेले का सब को लाभ उठाना चाहिए। शीतकालीन चार धाम यात्रा शुरू करने से पहले शंकराचार्य ने हरिद्वार के नमामि गंगे घाट पर गंगा आरती की। शंकराचार्य पिछले 3 सालों से शीतकालीन यात्रा पर जा रहे हैं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। शुक्रवार सुबह शंकराचार्य हरिद्वार स्थित मठ से शीतकालीन यात्रा के लिए रवाना होंगे।


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