नई दिल्ली।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक सोमवार को केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सात करोड़ से अधिक खाताधारकों के हित में कई अहम निर्णय लिए गए।
आंशिक निकासी के नियम हुए आसान
बैठक में ईपीएफ की आंशिक निकासी के 13 जटिल प्रावधानों को घटाकर तीन श्रेणियों में बांटा गया है —
- आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह)
- आवास संबंधी जरूरतें
- विशेष परिस्थितियां।
अब सदस्य कुल शेष राशि का 100% तक निकाल सकेंगे। शिक्षा के लिए निकासी 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक संभव होगी। सभी आंशिक निकासियों के लिए न्यूनतम सेवा अवधि घटाकर 12 महीने कर दी गई है।
पूरी निकासी और पेंशन पर सख्ती
अब बेरोजगार होने की स्थिति में पीएफ की पूरी राशि केवल 12 महीने बाद ही निकाली जा सकेगी, जबकि पहले यह अवधि दो महीने थी।
पेंशन की पूरी राशि निकालने के लिए अब 36 महीने तक इंतजार करना होगा। पहले यह अवधि दो महीने थी। यह बदलाव कई लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
विश्वास योजना और डिजिटल सुविधा
सीबीटी ने विश्वास योजना को मंजूरी दी है, जिससे पीएफ बकाया में देरी से जुड़े मुकदमों को कम किया जाएगा।
इसके अलावा इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के सहयोग से EPS-95 पेंशनरों को घर बैठे मुफ्त डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) सुविधा मिलेगी।
डिजिटल सेवाओं पर जोर
ईपीएफओ ने दावा किया है कि नए नियमों से दावों का निपटारा बिना कागजात के स्वतः हो सकेगा। इससे संगठन को अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने की कोशिश की जा रही है।
न्यूनतम पेंशन पर विचार
बैठक में श्रम मंत्री ने बताया कि न्यूनतम पीएफ पेंशन ₹1,000 से बढ़ाने पर कैबिनेट स्तर पर सक्रिय रूप से विचार जारी है।
हालांकि इस मुद्दे पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
विशेषज्ञों की राय
वित्त विशेषज्ञ नील बोराटे ने कहा कि नई व्यवस्था से आंशिक निकासी आसान हुई है, लेकिन पूरी निकासी और पेंशन पर सख्ती से कई लोगों को मुश्किलें हो सकती हैं।
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