- मॉक ड्रिल में विभागों के बीच दिखा शानदार समन्वय
- राहत और बचाव दलों ने दिखाई तत्परता, रिस्पांस टाइम भी बेहतर
- राज्य के पांच जनपदों में बाढ़ प्रबंधन पर आयोजित की गई मॉक ड्रिल
माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बाढ़ तथा जलभराव से सबसे अधिक प्रभावित रहने वाले राज्य के पांच जनपदों में सोमवार को मॉक ड्रिल की गई। मानसून अवधि में घटित होने वाली विभिन्न आपदाओं का बेहतर तरीके से सामना करने, राहत और बचाव कार्यों को सुगमता तथा प्रभावी तरीके से संचालित करने, विभिन्न रेखीय विभागों के मध्य समन्वय को मजबूत करने के उद्देश्य से यह मॉक ड्रिल हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, देहरादून तथा चम्पावत जनपद में 23 स्थानों पर आयोजित की गई। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित इस मॉक ड्रिल की राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से निगरानी की गई। वहीं जिला आपातकालीन परिचालन केद्रों में स्वयं जिलाधिकारियों ने उपस्थित रहकर रिस्पांसिबल ऑफिसर के रूप में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए मॉक ड्रिल का संचालन किया।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है और हर वर्ष किसी ने किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मॉक ड्रिल एक माध्यम है जिससे हम अपनी तैयारियों का आंकलन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई, अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर में स्कूल-कॉलेजों, अस्पतालों, अपार्टमेंट, स्टेडियम, मॉल, फैक्ट्रियों में भूकंप, अग्निकांड, भगदड़ तथा अन्य संभावित आपदाओं पर मॉक अभ्यास किया जाएगा। साथ ही सीबीआरएनई डिजास्टर से बचाव हेतु भी मॉक अभ्यास होगा।
सोमवार को आयोजित यह मॉक ड्रिल बेहद सफल रही। मॉक ड्रिल का आयोजन 9 जून को अधिसूचित घटना प्रतिक्रिया प्रणाली के अंतर्गत किया गया। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने बताया कि सभी अधिकारियों तथा विभागों को इस बात की पूर्ण जानकारी थी कि आईआरएस तंत्र के तहत उनके विभाग तथा उनकी स्वयं की क्या भूमिका है। किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं दिखी। यही कारण रहा कि मॉक ड्रिल के दौरान राहत और बचाव दलों द्वारा त्वरित गति से रेस्क्यू ऑपरेशंस को संचालित किया गया। संसाधनों की समय पर पहुंच सुनिश्चित की गई तथा प्रभावितों को त्वरित गति से मदद पहुंचाई गई।मॉक ड्रिल लाइव
सोमवार को राज्य के पांच जनपदों में आपदाओं से निपटने के एकजुट प्रयास देखने को मिले। बाढ़ तथा जलभराव की सूचना मिलते ही राज्य, जनपद तथा तहसील स्तर पर आईआरएस तंत्र को तुरंत एक्टिवेट कर दिया गया। जनपद स्तरीय अधिकारी डीईओसी पहुंचे और तुरंत मोर्चा संभाला। तुरंत घटनास्थल पर इंसीडेंट कमाण्ड पोस्ट स्थापित की गई। स्टेजिंग एरिया से सभी आवश्यक उपकरणों एवं संसाधनों को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। राहत शिविरों में तत्काल सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गईं।ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट में जल स्तर बढ़ने से 02 लोगों के नदी में बहने की सूचना जिला आपातकालीन परिचालन केन्द्र (डी0ई0ओ0सी) को प्राप्त हुई। सूचना मिलते ही तत्काल पुलिस और एस.डी.आर.एफ. को मौके पर रवाना गया किया। पास ही में मौजूद जल पुलिस के जवानों ने रेस्क्यू अभियान प्रारंभ किया और 02 व्यक्तियों को नदी से निकाला गया। 108 के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है।
वहीं दूसरी ओर डोईवाला के केसरपुर बस्ती में सोंग नदी का जल स्तर बढ़ने से लोगों के घरों में पानी भरने की सूचना पर तत्काल पुलिस, तहसील प्रशासन, एस0डी0आर0एफ0, नगर निगम, सिंचाई विभाग व अन्य विभागों को अवगत कराया गया। राहत व बचाव दलों ने मौके पर पहुंचकर लोगों सुरक्षित निकालकर आश्रय स्थल में पहुंचाया। यहां उन्हें भोजन, पानी, दवाइयां, बच्चों के लिए दूध एवं अन्य आवश्यक सहायता प्रदान की गयी। लोगों को कुछ दिन राहत कैंप में ही रहने को कहा गया है।
जनपद चम्पावत के देवीपुरा गांव में जलभराव के कारण लगभग 25 परिवार फंस गए। उक्त परिवारों को एसडीआएफ व स्थानीय पुलिस द्वारा राफ्ट से निकालकर राहत शिविर राजकीय महाविद्यालय बनबसा में लाया गया। वहीं गांव में जलभराव के कारण मगरमच्छ भी देखे जाने की सूचना मिली। वन विभाग की एक टीम राफ्ट से गश्त कर रही है।
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